दिल कहे..!
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सूरज सा तेज पा लूं या चांद सी शीतल हो जाऊं ,
दिल कहे..तारों पर खूबसूरत आशियाना सज़ा लूं !!
फूलों की महक ले लूं या फलों की मिठास चुरा लूं ,
दिल कहे..बस यूंही पेड़ों की छांव में उम्रभर रह लूं !!
नदियों सी मतवाली हो लूं या समुंदर सी विशाल बन जाऊं ,
दिल कहे..इनकी पवित्रता में डूब मन के सारे पाप धो लूं !!
बर्फ सी घिरी वादियों की हो लूं या पहाड़ो सी कठोर हो जाऊं ,
दिल कहे..इन सुंदर नजारों में अपना सुध-बुध खो जाऊं !!
वास्तविकता की सारी हदें लांघ लूं या कहीं दूर चले जाऊं ,
दिल कहे.. इन प्रकृति को अपनाकर बस इनकी बन जाऊं !!