दिल ऐ नादान
बहुत चाहा हमने की हम दीवाने हो जाएं ,
लोगों की साजिशों से भी बेखबर हो जाए ,
मगर यह नादान दिल है मानता ही नहीं,
उलझन में हम हैं इसे बेपरवाही कैसे सिखाएं?
बहुत चाहा हमने की हम दीवाने हो जाएं ,
लोगों की साजिशों से भी बेखबर हो जाए ,
मगर यह नादान दिल है मानता ही नहीं,
उलझन में हम हैं इसे बेपरवाही कैसे सिखाएं?