दिल्ली
दिल्ली क्यो बिल्ली बनी, सहती नित प्रति घात।
पाक, चीन जो आज कल, कुत्ता से गुर्रात।।
कुत्ता से गुर्रात, बात नित करत कड़ी है।
करे मधुर नहीं बात, घात की तकत घड़ी है।।
स्नेही सिर मोर, शेर दिल बनकर बिल्ली।
सीमा पर घुसपैठ, रात दिन देखे दिल्ली।।
दिल्ली क्यो बिल्ली बनी, सहती नित प्रति घात।
पाक, चीन जो आज कल, कुत्ता से गुर्रात।।
कुत्ता से गुर्रात, बात नित करत कड़ी है।
करे मधुर नहीं बात, घात की तकत घड़ी है।।
स्नेही सिर मोर, शेर दिल बनकर बिल्ली।
सीमा पर घुसपैठ, रात दिन देखे दिल्ली।।