दिया अँगूठा काट
दिया अंगूठा द्रोण को, ….एकलव्य ने काट !
रहे न ऐसे शिष्य अब, जिनका ह्रदय विराट!!
बने न सब्जी स्वार्थ की,कभी जायकेदार !
चाहे जितना दीजिए,. चोखा आप बघार !!
रमेश शर्मा.
दिया अंगूठा द्रोण को, ….एकलव्य ने काट !
रहे न ऐसे शिष्य अब, जिनका ह्रदय विराट!!
बने न सब्जी स्वार्थ की,कभी जायकेदार !
चाहे जितना दीजिए,. चोखा आप बघार !!
रमेश शर्मा.