दिमाग या किस्मत
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र में आज तक समझ नहीं आया की जिंदगी दिमाग से चलती है या किस्मत से ,अगर दिमाग से चलती है तो बीरबल बादशाह क्यों नहीं बना -और अगर किस्मत से चलती है तो क्यों सोनिया -प्रियंका राहुल प्रधानमंत्री नहीं बने और तो और आडवाणी जैसों के भी सपने रेत के घरोंदों के माफिक ढह गए ,गुरु गुड़ और चेले शक्कर हो गए …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कभी अत्यधिक लाड़ प्यार में तो कभी रूढिवादिताओं की जंजीरों के कारण बेटी को घर बाहर के अधिकतम काम नहीं सिखाये जाते क्यूंकि उसे बेटे के समान बनाना है परन्तु तस्वीर के दूसरी तरफ सबको बहु एकदम दक्ष एवं कुशल चाहिए …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी एक बॉक्सिंग रिंग की तरह है जहाँ बाहर अनगिनत आपके प्रशंसक और आलोचक होते हैं पर हकीकत यही है की रिंग के अंदर आपको अपनी समझ -विवेक -आत्मविश्वास और हिम्मत के साथ खुद ही लड़ना पड़ता है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की व्यावसायिक स्थल पर पूरी तरह दिलोदिमाग से व्यापारी की माफिक ही बैठना चाहिए क्यूंकि यहाँ अगर दिल दिमाग पर भारी पड़ जाता है तो यकीन मानिये ये मेरा व्यक्तिगत तजुर्बा है की आप एक समय पर बिलकुल तन्हा -अकेले रह जाते हो और कुछ शेष नहीं रहता अपनी नेकदिली की बेवकूफियों के पछतावे सिवा ….!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान