दिन भर रोशनी बिखेरता है सूरज
दिन भर रोशनी बिखेरता है सूरज
शाम होते ही अंधेरा छा जाता है ,
बचपन कटता है मौज बहारों में
और करियर जवानी का जाता है
✍कवि दीपक सरल
दिन भर रोशनी बिखेरता है सूरज
शाम होते ही अंधेरा छा जाता है ,
बचपन कटता है मौज बहारों में
और करियर जवानी का जाता है
✍कवि दीपक सरल