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28 Dec 2024 · 1 min read

दिन देखे नहीं, देखे नहीं रात

दिन देखे नहीं, देखे नहीं रात
नहीं सफलता, हर जगह मात
गर्मी तपती या बर्फीली सर्दी
हर मौसम में मिलती बेदर्दी
अस्थि-पिंजर वह कृशकाय
कितना है वह असहाय?
-आचार्य शीलक राम

1 Like · 1 Comment · 26 Views

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