दिन ढले (मनकों की माला)
बन जाऊंगी मैं तेरी माला
यादों में पिरोके रखना माला
तुम जब जाप जपे मनकों का
माला यादों की ही जपना माला
सांझ- सवेरे, दिन ढले, गौधूली बेला
तुम मंत्र बस इक ही जपना माला
सुर मिले न मिले, मिलते रहना
संध्या बेला , तुम जपना माला
बस तुम यादों को ही जपना
मोती हो मनकों की इक माला
कलकल बहती नदियाँ हो बस
शान्त मन से तुम बस जपना माला
शुभ बेला हो, कोयल सुनाती तान हो
तुम यादों की बस जपना इक माला
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा