दिनकर जी
दिनकर जी को समर्पित
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राष्ट्रकवि दिनकर जी ने लिखा ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
पूरी दुनिया मना रही है इसको हम कैसे इसे नकारेगें
मौलानाओं ने दिया है फतवा इसको नहीं मनाया जाए
जो ना माने इस फतवे को कहर उसी पर ढाया जाए
हिंदू मन की यही धारणा नव संवत्सर नया वर्ष है
30 मार्च 2025 को होगा यही हमारे लिए हर्ष है
भारत देश के हर हिस्से में बैंकों में नव वर्ष यही है
राजकाज और बजट का खेला हमें बताता सही बही है
कहने को आजाद हो गए पर मैकाले के गुलाम हैं
इससे हमको मुक्ति दिलाए जागृत नहीं अपना निजाम है
जब तक जागी नहीं चेतना तब तक चलता रहेगा मेला
दशकों से सदियों तक चलेगा यह नव वर्ष झूठ का खेला
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव