दिनकर जयंती पर
कुंडलिया-दिनकर जयंती पर।
दिनकर कहते साफ हैं, राजनीति से दूर।
हिंदी के राष्ट्रीय कवि, हो यशगान सुदूर।
हो यश गान सुदूर, राष्ट्र हृदयों से गाता।
रश्मि रथी कुरुक्षेत्र, उर्वशी सबको भाता।
कहें प्रेम कविराय, सियासत होती चुनकर।
रचा शिखर साहित्य,बनें साहित्यिक दिनकर।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
सीतापुर
9450022526