दिखावा
जब हमें अपने अन्दर किसी भी चीज की प्रधानता अधिक महशूस होती है या होने लगती है तो हम उसका दिखावा अधिक करने लगते है या हम कह सकते है कि उसे हम समाज के सामने अधिक प्रकट करने लगते है। लेकिन वो हमारी ही नजरों में ही अधिक है। वह हमें स्वयं को ही अधिक महशूस होता या ज्यादा महशूस हो रहा होता है। चाहे वह हमारे अन्दर मौजूद अन्य गुणों से कम हो लेकिन हमें यह लगाता है कि वह हममें अधिक है। हमने उसका दूसरों के सामने दिखावा करना शुरू कर दिया। चाहे वह हममें सबसे कम क्यों ना हो। चाहे वह सुन्दरता हो ,सुन्दर बाॅडी हो या ज्ञान हो,चालाकी हो,ताकत हो या फिर अन्य गुण। चाहे वह स्वयं ही प्रकट हो रहा हो। लेकिन जब उसका अहसास हमें स्वयं को होता है। चाहे हमारे अन्दर वह सबसे कम हो। हम सर्वाधिक दिखावा तब ही करते है। जब हमें वह खुद महशूस होता है।….
🥀Swami ganganiya🥀