दिखावा कि कुछ हुआ ही नहीं
दिखावा कि कुछ हुआ ही नहीं
सब कुछ जला दिया,
पर जला कुछ ही नहीं
तुम्हें खोकर सब कुछ खो दिया
अब खोने को कुछ बचा ही नहीं
खत लिखा है तुम्हारे लिए
क्या लिखूँ कुछ बचा ही नहीं
चुप हूँ कि तमाशा न हो
तमाशें के लिए कुछ बचा ही नहीं
न जाने कब खत्म होगा ये सिलसिला
जिने के लिए अब कुछ बचा ही नहीं।