दिए मत जलाना
भले हो दीवाली, दिए मत जलाना ।
ग़मों के समंदर में डूबा हो कोई ,
कोई शोक संतप्त भी हो रहा हो ।
अंधेरो की चाहत ले ,गम भूलने को ,
दिलों के उजाले कोई खो रहा हो ।
ऐंसे में तुम रोशनी जगमगाकर ,
जले पर किसी के नमक न लगाना ।
भले हो दीवाली , दिए मत जलाना ।।
किसी का कोई मीत जग से गया हो,
भरे घर में ठहरा हो मातम का पहरा ।
जहां सूर्य भी डूबकर चल रहा हो ,
दुखों का अन्धेरा हुआ और गहरा ।
वहां तुम भी सहभागी बनकर हमेशा ,
मनुज धर्म सच्चे ह्रदय से निभाना ।
भले हो दीवाली , दिए मत जलाना ।।