दास्तां
बचपन में थी मोटी अब वो हूर हो गई ।
चांद भी सरमा जाऐ वो ऐसा नूर हो गई ।
यूँ चली दास्तां हमारी आशिकों में मशहूर हो गई ।
पाकर इश्क हमारा वो भी कुछ मगरूर हो गई ।
हुस्न और इश्क के गुमान में वो यूँ चूर हो गई ।
नजरों तले रहकर भी वो दिल से दूर हो गई ।