दास्तां
गुले बागवा तुझे मिला क्या है।
तेरे बाहम में खिला क्या है।।
तड़प गया वो तुझे देखकर।
चांद की इसमें खता क्या है।।
खिले खिले हैं जनाब सुबहा से।
रंग औ बू की बजह क्या है।।
इश्के जज़्बात कैद हैं दिल में।
बता साफ की बचा क्या है।।
दर्द पैहम लरजता रहा दिल में।
किस्सा ए आम है नया क्या है।।
बज्म रोशन है शम्मा के दम से।
बेफिक्र नादा कि जला क्या है।।
हुआ नीलम सब सरे बाजार में।
लुटे अरमान कि बिका क्या है।।
दर्दे दिल की दास्तां सुनाएं किसको।
बता की इस दर्द की दवा क्या है।।
उमेश मेहरा गाडरवारा ( एम पी)
9479611151