दायरे से बाहर
न गीता,न बाईबल न कुरान की बात
मैं तो करता हूँ भले इन्सान की बात ।
न पूजा,न नमाज,न अज़ान की बात
मैं कहता हूँ बेहतर इमकान की बात।
न खुदा,न मसीहा,न भगवान की बात
करें रोजी-रोटी औ मकान की बात।
चांद,तारे,सूरज न आसमान की बात
धरती पे बसे मामूली महान की बात।
फूल,खुशबू,भँवरे न बागवान की बात
मैले कुचैले,भूखे-नंगे नादान की बात ।
हाँ,आत्महत्या करते किसान की बात
पढ़ेलिखे बेरोजगार नौजवान की बात ।
होली,दीवाली,ईद,क्रिसमस,के साथ ही
करता हूँ मैं हरएक भाईजान की बात।
-अजय प्रसाद