Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2021 · 6 min read

दाम दिगर (हास्य कथा)

dam digar- kishan karigar
दाम-दिगर
(एकटा हास्य कथा)

टूनटून राम टनटनाईत बाजल कहू त एहनो कहूॅं दाम दिगर भेलैयए जे दोसर पक्ष वला के तऽ दामे सुनि केॅं चक्करघूमी लागि जाइत छैक। हे बाबा बैजनाथ अहिं कनि नीक मति दियौअ एहेन दाम-दिगर केनिहार सभ केॅं। एतबाक सुनितैह बमकेसर झा बमकैत बजलाह आईं रौ टूनटूनमा हम अपना बेटाक दाम-दिगर कए रहल छी तऽ एहि मे तोहर अत्मा किएक खहरि रहल छौ। ताबैत फेर सॅं टूनटून राम जोर सॅं बाजल अहिं कहू ने अत्मा केना नहि खहरत हम जे अपना बेटा बच्चा राम के संस्कृत सॅं इंटर मे नाम लिखबैत रही तऽ अहॉ कतेक उछन्नर केने रही। मुदा तइयो ओ नीक नम्बर सॅं पास केलक आब हम ओकरा फूलदेवी कॉलेज अंधराठाढ़ी मे संस्कृत सॅं बी.ए मे नाम लिखा देलियैअ। ई सुनि बमकेसर झा तामसे अघोर भ बमकैत बजलाह रौ टूनटूनमा तू साफ साफ कहि दे ने जे हमरा बेटाक दाम-दिगर मे बिना कोनो भंगठी लगौनेह तों नहि मानबेए।
दूनू गोटे मे एतबाक कहाकही होइते रहै की पिपराघाट सॅं पैरे-पैरे धरफराएल हम अप्पन गाम मंगरौना चलि अबैत रहि। दरभंगा सॅं बड़ी लाइनक टेन पकरि राजनगर उतरल रही। ओतए सॅ बस पकरि कहूना कऽ पिपराघाट अएलहूॅं मुदा ओतए रिक्शावला नहि भेटल तही द्वारे पैरे-पैरे गाम जाइत रही। मुदा जहॉ गनौली गाछी लक अएलहूॅं तऽ टूनटून आ बमकेसर के कहा-कही हैत देखलियैअ उत्सुकता भेल जे दाम-दिगर कोन चिड़ैक नाम छियैक से बूझिए लियैए। मोन भेल जे एखने टूनटून सॅं पूछि लैत छियैक जे कथिक दाम-दिगरक फरिछौट मे अहॉ दूनू गोटे ओझराएल छी मुदा बमकेसर झाक बमकी आ टूनटून के टनटनी देखि तऽ हमर अकिले हेरा गेल आओर हिम्मत जवाब दए देलक। सोचलहूूॅं जे गाम पर जाइत छी तो ओतए ठक्कन सॅं एहि प्रसंग मे सभटा गप-शप भए जायत।
गाम पर आबि केॅं सभ सॅं प्रणाम-पाति भेल तेकरा बाद नहा सोना के हम ठक्कन के भॉज मे भगवति स्थान दिस बिदा भेलहॅू। मुदा कियो कहलक जे ठक्कन त सतबिगही पोखरि दिसि भेटत। हुनकर नामे टा ठक्कन रहैन मुदा ओ बड्ड मातृभाषानुरागी रहैथ कहियो गाम जाइ त हुनके सॅं मैथिली मे भरि मोन गप-नाद करी। भिंसुरका पहर रहै हम बान्हे बान्हे गामक हाई स्कूल दिस बिदा भूलहॅू जे कहीं रस्ते मे भेंट भऽ जाइथ। मुदा ठक्कन महराज कतहू नहि भेटलाह त बाधहे बाधहे सतबिगही पोखरि लक अएलहूॅं दूरे सॅं देखलियै जे ठक्कन आ परमानन दूनू गोटे गप करैत चलि अबैत रहैए अवाज़ हम साफ साफ सुनैत। ठक्कन बाजल आईं हौ भैया इ कह तऽ अमीनो सहेब के जे ने से रहैत छन्हि। कहू तऽ ततेक दाम दिगर कहैत छथहिन जे घटक के घटघटी आ घूमरी धए लैत छैक। बेसी दाम भेटबाक लोभ मे पारामेडिकल वला लड़का के एम.बी.बी.एस कहि रहल छथहिन कहअ ई अन्याय नहि तऽ आर की थीक परमानन खैनी चुना के पट पट बाजल रौ ठक्कना तोरो तऽ गजबे हाल छौ अमीन सहेब अपना बेटाक दाम दिगर कए रहल छथि तई सॅं तोरा। ताबैत ठक्कन बाजल हमरा तऽ किछू नहि तोहिं कहअ ने अपना चैनो उरल पर 2लाख रूपैया गना लेलहक आ हमर मोल जोल करबा काल मे तोरा दिल्ली कमाई सॅं फुरसत नहिं रहअ। हौ भैया तेहेन ठकान ठकेलहूॅं से की कहियअ हम विपैत मे रही आ तूं अमीन सहेबक चमचागीरि मे लागल रहअ।
परमानन बाजल आसते बाज रौ ठक्कन जॅं कही अमीन सहेबक बेटाक दाम दिगर भंगठलै त कोनो ठीक नहि ओ हमरा जमीनक दू चारि ज़रीब हेरा-फेरी कए देताह आ तोरो चारि सटकन द देथहून। ठक्कन बाजल हम कोन हुनकर तील धारने छियैन तू धारने छहक तऽ तोरा डर होइत छह हम त नहि मानबैन सोहाइ लाठी हमहू बजाइरे देबैन की। दूनू गोटे एतबाक गप मे ओझराएल रहैए मुदा परमानन हमरा दूरे सॅं अबैत देखलक तऽ बाजल रौ ठक्कन रस्ता पेरा चूपे चाप बाज ने देखैत नहि छिहि जे मीडियावला सेहो एखने धरफराएल अछि तू तेहेन भंगठी वला गप बाजि देल्हि से डरे झारा सेहो सटैक गेल। ताबैत हम लग मे पहुॅंचि क दूनू गोटे केॅं प्रणाम कहलियैन। हमरा देखि ठक्कन अकचकाईत बाजल किशन जी कहू समाचार की आई भोला रामक रिक्शा नहि भेटल जे पैरे पैरे आबि रहल छी। हम बजलहूॅं सेहेए बुझियौ मुदा ई कहू जे अहॉ सभ कथिक दाम-दिगर के फरिछौट मे लागल छलहॅू एतबाक मे परमानन बजलाह जाउ एखन हम सभ पोखरि दिस सॅ आबि रहल छी जॅं बेसी बुझबाक हुएअ त सॉंझ खिन ठीक पॉच बजे अमीन सहेबक दरबज्जा पर चलि आएब।
ठीक समय पर 5बजे हम अमीन सहेबक दरबज्जा दिस बिदा भेलहूॅं। ओतए लोक सभ घूड़ तपैत गप नाद करैत टूनटून सेहो ओतए बैसल। ओ पूछलक कहू अमीन सहेब मोन माफिक दाम भेटल की अहॉं पछुआएले छी एतबाक मे परमानन फनकैत बाजल हौ टूनटून भैया बमकेसर संगे पटरी खेलकअ तऽ आब एहि ठाम दाम दिगर भंगठबैक फेर मे आएल छह की नहि रौ परमानन तो तऽ दोसरे गप बूझि गेलही। ताबैत चौक दिसि सॅ धनसेठ धरफराइल आइल आ बाजल यौ अमीन बाबा हमरो दाम-दिगर करा दियअ ने। ई सुनि अकचकाइत घूरन अमीन ठोर पट पटबैत खिसिआयैत बजलाह मर बहिं तूं के हरबराएल छैं रौ हमरा त अपने बेटाक दाम दिगर भंगठि रहल अछि आ तू हरबरी बियाह कनपटी सेनुर करैए मे लागल छैं। ओ बाजल बाबा हम छी धनसेठ आईए पूनासॅ गाम आबि रहल छी। मर बहिं मूरूब चपाट तोरा कहने रहिय ैजे संस्कृत सॅं मध्यमा कए ले तऽ से नहि केलही। कह तऽ ठक्कना सी.एम साइंस कॉलेज सॅं इंटर केने अछि ओकरा कियो पूछनाहर नहि भेटलै तोरा के पुछतहू रौA
सेठ महासेठ आ धनसेठ खूम गरीबक धीया पूता तहि द्वारे नान्हिटा मे परदेश कमाई लेल चलि गेल रहैए। तीनू भाई मे सभ सॅं छोट धनसेठ कनी पढलो रहैए ओ कनी साहस कए बाजल यौ बाबा हम पूणे मे ओपन सॅ मैटीक पास कए केॅं आब इंटर मे नाम लिखा लेलहूॅं। ई सुनि अमीन सहेबक दिमाग गरम भए गेलैन ओ बजलाह रौ परमानन ई ओपेन-फोपेन की होइत छैक रौ आई तऽ धनसेठो नहिए मानत। ताबैत ठक्कन बाजल कक्का पत्राचार कोर्स के ओपेन कहल जाइत छैक अहूॅं नाम लिखा लियअ ने ई सुनि सभ गोटे भभा भभा हॅसए लागल मुदा अमीन सहेब तामसे अघोर भेल तमसा के बजलाह रौ उकपाति सभ हम देह जरि रहल अछि आओर तू सभ हॅसी ठीठोला मे लागल छैंह। टूनटून बाजल कक्का हम तऽ कहैत छी जे दाम दिगरक परथे हटा दिअउ ने नहि दाम दिगर हेतै ने एतेक सोचबाक काज। ताबैत केम्हरो सॅं बमकेसर झा घूमैत-घूमैत अमीन सहेब एहि ठाम पहुॅचलाह। ओही ठाम टूनटून के देखि बमकैत बजलाह बुझलहॅू की अमीन सहेब टूनटूनमा द्वारे अकक्ष भेल छी। ई सुनि ठक्कन बाजल अपने करतबे ने अकक्ष छी अहॉ कम्पाउण्डर बेटा के प्रैक्टीसनर डागडर कहि लोक के ठकि रहल छियैक तहि द्वारे त घटक सभ घूमी रहल छथि तए एहि मे टूनटून भैयाक कोन दोख।
अमीन सहेब पानक पीक फेकी बजलाह मर तोरी केॅं रौ ठक्कना आबो सुखचेन सॅं गप सुनअ दे ने की भेल औ बमकेसर बाबू अमीन सहेब ईशारा क बजलाह। बमकेसर टूनटून सॅं भेल कहा-कही कहलखिन अमीनो सहेब अपन दुःखरा सुनौलनि। सभटा गप सुनि टूनटून बाजल दाम दिगरक चलेन मे ग़रीब लोक मारल जा रहल अछि ओ कतए सॅ लड़कवला सभ के एतेक फरमाइसी पुराउअत। बेटीक बियाह त सभ गोटेक छैन्हि हमरो अहॅू के समाजक सभ लोक केॅं अहिं दूनू गोटे निसाफ कहू। बमकेसर बजलाह तू ई त सोलहो आना सच्च गप बजलेह। कि औ अमीन सहेब अहॉक की बिचार। अमीन सहेब बजलाह टूनटून ठीके कहि रहल अछि हमरो इहए बिचार जे लेब देब के प्रथा हटा देल जाए तऽ अति उत्तम। जेकरा जे जुड़तै से देतै मुदा कोनो तरहक फरमाईस केनाइ उचित नहि।
हम ई सभटा गप बान्हे पर सॅ ठाढ़ भेल सुनैत रही लग मे जाके सभ गोटे के प्रणाम कहैत ठक्कन सॅं पूछलहॅू दाम-दिगर की होइत छैक कनि अॅहि बुझहा दियअ ने। एतबाक मे टूनटून मुस्की मारैत बाजल कहू तऽ इहो मीडियावला भ केॅं अनहराएल लोक जेॅका बजैत छैथि अमीन सहेब कनी अहीं बुझहा दियौन हिनका। की सभ गोटे ठहक्का मारि हॅसैए लगलाह। अमीन सहेब हॉ हॉ क खीखीआयैत हॅसैत बजलाह बच्चा एखन अहॉ कॉच कुमार छी तानि ने जहिया अपने बिकायब त अहॅू बुझिए जेबै जे केकरा कहैत छैक दाम-दिगर.
लेखक- किशन कारीगर
(©काॅपिराइट)

Language: Maithili
3 Likes · 3 Comments · 1335 Views
Books from Dr. Kishan Karigar
View all

You may also like these posts

*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिल हो काबू में....😂
दिल हो काबू में....😂
Jitendra Chhonkar
इस जीवन के मधुर क्षणों का
इस जीवन के मधुर क्षणों का
Shweta Soni
मेरी कलम......
मेरी कलम......
Naushaba Suriya
पहले तेरे पास
पहले तेरे पास
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मज़दूर कर रहे काम, कोयलों की खानों में,
मज़दूर कर रहे काम, कोयलों की खानों में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3940.💐 *पूर्णिका* 💐
3940.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जीवन नैया
जीवन नैया
शशि कांत श्रीवास्तव
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
आकांक्षा : उड़ान आसमान की....!
आकांक्षा : उड़ान आसमान की....!
VEDANTA PATEL
जाती जनगणना की हवामिठाई का सच |
जाती जनगणना की हवामिठाई का सच |
Harinarayan Tanha
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
Ravi Prakash
जुदाई  की घड़ी लंबी  कटेंगे रात -दिन कैसे
जुदाई की घड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
Dr Archana Gupta
अधिकतर महिलायें
अधिकतर महिलायें
लक्ष्मी सिंह
एक गुलाब हो
एक गुलाब हो
हिमांशु Kulshrestha
भक्त जन कभी अपना जीवन
भक्त जन कभी अपना जीवन
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"चिन्हों में आम"
Dr. Kishan tandon kranti
केवल परिवर्तन का मार्ग ही हमें आनंद और पूर्णता की ओर ले जाएग
केवल परिवर्तन का मार्ग ही हमें आनंद और पूर्णता की ओर ले जाएग
Ravikesh Jha
#Motivational quote
#Motivational quote
Jitendra kumar
fake faminism
fake faminism
पूर्वार्थ
साइस और संस्कृति
साइस और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
इन आँखों को हो गई,
इन आँखों को हो गई,
sushil sarna
मेरे देश की मिट्टी
मेरे देश की मिट्टी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
..
..
*प्रणय*
निंदा और निंदक,प्रशंसा और प्रशंसक से कई गुना बेहतर है क्योंक
निंदा और निंदक,प्रशंसा और प्रशंसक से कई गुना बेहतर है क्योंक
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रँगि देतs हमहू के कान्हा
रँगि देतs हमहू के कान्हा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उलझनें
उलझनें"
Shakuntla Agarwal
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
Loading...