दामन ए जमीर
पैमाने से जिस तरह छलकता है सागर कोई,
किसी की नजरों से भी ऐसी ही गिरता है कोई ।
ये वो शख्स है जिनसे संभलता नही दामन ए जमीर,
खुदा की नजर में भी पशेमान होता है कोई ।
पैमाने से जिस तरह छलकता है सागर कोई,
किसी की नजरों से भी ऐसी ही गिरता है कोई ।
ये वो शख्स है जिनसे संभलता नही दामन ए जमीर,
खुदा की नजर में भी पशेमान होता है कोई ।