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8 May 2018 · 1 min read

दादी

दादी से घर घर लगता है
घर का सूनापन भरता है

पूजा की घण्टी बजती है
नींद हमारी तब खुलती है
मंत्र आरती जाने क्या क्या
दादी पाठ किया करती है
उनका रोज कार्यक्रम यूँ ही
बिना विघ्न निशदिन चलता है

पापा मम्मी रोज सवेरे
अपने अपने आफिस जाते
देर रात तक ही वो दोनों
फिर घर में वापस आ पाते
दादी के कारण ही उनका
करना देर नहीं खलता है

संस्कार वो हमें सिखाती
सुना कहानी हमें सुलाती
गर्मागर्म सेक कर रोटी
बड़े प्यार से हमें खिलाती
मम्मी के पीछे दादी से
माँ का लाड़ हमें मिलता है

08-05-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
368 Views
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