दादा जी के दीवाने हम….
दादा जी के दीवाने हम, दादा नगरी जाएंगे।
दादा की पावन धूनी में, अपना भरम जलाएंगे।
सोना चाँदी बना राख अब भस्म विभूति पाएंगे।
दादा के दीवाने हैं हम…..
नागा बाबा फक्कड़ बाबा, बाबा वो औघड़दानी।
हाथ में डंडा भगवा झंडा, दादा है वो भस्मानी।।
लगी हो धूनी पूण्य प्रसूनी, दादा नगरी हरषानी।
कालों के हैं महाकाल वो, मेरे दादा वरदानी।।
चना भाजी और टिक्कड़ वाला, दादा भोग लगाएंगे।
दादा के दीवाने हैं हम…..
दादा तेरे नाम की धूनी जलती हर एक सीने में।
गुरू पूनम पे लगा है मेला दादा तेरे धूंने में।।
हर नर नारी झूम रहे हैं दादा घुट्टी पीने में।
साईंधाम अब जग में चमके दादा जड़े नगीने में।।
‘कल्प’ प्रफुल्लित हुआ है मनबा दादा भजन सुनाएंगे।
दादा के दीवाने हैं हम …..
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’
दादा चरण सेवक
साईंखेड़ा जिला-नरसिहपुर म.प्र.