दादाजी की राय
होती हैं कुछ दिक्कते,जिनका नही उपाय!
कर जाती है काम तब ,दादाजी की राय!!
महके उनका इत्र बिन,साहित्यिक परिवेश !
आती है किरदार से,जिनके महक रमेश !!
होती जब नित आपकी,रहमत की बरसात!
मांगू क्या प्रभु आपसे,..कोई अब सौगात !!
ख़त्म रसोई में हुआ , खाना जितनी बार !
माँ ने फांका कर लिया, झूठी मार डकार !!
रमेश शर्मा.