दाग नफरत का
मुक्तक
लिखे अल्फाज कुछ नम जिंदगी की इस कहानी में।
बहे जज्बात के सब रंग भी आंखों के’ पानी में।
धुआं है मुस्कुराहट गुम खुशी दिल से हुई ऐसे।
लगा हो दाग नफरत का धरा की इस जवानी में।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)