Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2021 · 1 min read

दहेज

“बाकी सब तो ठीक है।लड़की भी पसंद कर ली है हमने।अब जरा मान-सम्मान की बात भी कर ली जाए तो बेहतर होगा।”लड़के के पिता ने नपे-तुले शब्दों में अपनी फ़रमाइशें रखनी शुरू की।
“वैसे तो हमारा परिवार बहुत बड़ा है।सभी का स्वागत-सत्कार और सम्मान होना चाहिए जी।आपकी भी लड़की है,वैसे आप तो बिन माँगे ही सबकुछ देंगे ही।फिर भी लेने-देने की बात स्पष्ट हो तो अच्छा है।”इस बार लड़के की माँ ने अपनी बात रखी।
“जी बिल्कुल सही कहा आपने।हम तो सिर्फ दे ही रहे हैं।पहले तो लड़की और ऊपर से पढ़ी-लिखी।जो आपके परिवार की मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि ही करेगी और कई पीढ़ियों तक शिक्षा रूपी धन से आपके परिवार को समृद्ध भी करती रहेगी।अब आप बताईये,लड़के के रूप में आप क्या दे रहे हैं?”लड़की की माँ ने बड़े गर्व से अपनी बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए लड़के वालों से प्रश्न पूछा।
अबकी बार लड़केवाले चुप थे।

Language: Hindi
499 Views

You may also like these posts

कुछ देर पहले
कुछ देर पहले
Jai Prakash Srivastav
पर्यावरण के उपहासों को
पर्यावरण के उपहासों को
DrLakshman Jha Parimal
पकड़कर हाथ छोटा बच्चा,
पकड़कर हाथ छोटा बच्चा,
P S Dhami
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गुलाम
गुलाम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
खुदा की अमानत...
खुदा की अमानत...
अरशद रसूल बदायूंनी
आख़िरी ख़्वाहिश
आख़िरी ख़्वाहिश
Dipak Kumar "Girja"
4013.💐 *पूर्णिका* 💐
4013.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नदिया का नीर
नदिया का नीर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
ग़ज़ल _ दिलकश है मेरा भारत, गुलशन है मेरा भारत ,
ग़ज़ल _ दिलकश है मेरा भारत, गुलशन है मेरा भारत ,
Neelofar Khan
राधा
राधा
Mamta Rani
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
“श्री गणेश”
“श्री गणेश”
Neeraj kumar Soni
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
Ankita Patel
ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा
ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा
Dr fauzia Naseem shad
अबाध गति से गतिमान, कालचक्र चलता रहता है
अबाध गति से गतिमान, कालचक्र चलता रहता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दुःख पहाड़ जैसे हों
दुःख पहाड़ जैसे हों
Sonam Puneet Dubey
बहुत हो गया कोविद जी अब तो जाओ
बहुत हो गया कोविद जी अब तो जाओ
श्रीकृष्ण शुक्ल
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
अमित
पुरुष
पुरुष
लक्ष्मी सिंह
ये लम्हा लम्हा तेरा इंतज़ार सताता है ।
ये लम्हा लम्हा तेरा इंतज़ार सताता है ।
Phool gufran
- तेरे झुमके की आवाज सुनकर -
- तेरे झुमके की आवाज सुनकर -
bharat gehlot
हर जौहरी को हीरे की तलाश होती है,, अज़ीम ओ शान शख्सियत.. गुल
हर जौहरी को हीरे की तलाश होती है,, अज़ीम ओ शान शख्सियत.. गुल
Shweta Soni
शायद खोना अच्छा है,
शायद खोना अच्छा है,
पूर्वार्थ
कविता
कविता
Rambali Mishra
सामंजस्य
सामंजस्य
Shekhar Deshmukh
फलसफ़ा
फलसफ़ा
Atul "Krishn"
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...