दहेज
यू देहज मिटे मेवात सू , है मियरो भी अरमान । कुछ हैं याका फायदा , कुछ हैं याका नुकसान । यू बिन देहज को चलण चले , तो ऐसो आवे सोण । जो बियटो हुवए गरीब को , फिर वाय बिहावे कौण हर माणस की सुवच बणे के , रिश्तो मिले अमीर । फिर नई मुसीबत आणी है , खिंचणी नई लकीर । फिर उन्ने कौण बिहाएगो , जो हैं बियटी सांवळी । देहज संग बिहाई वे भी , जिन्ने समझें बावळी । नू बियटी दियखी जाएंगी , के बर्तन रहा खरीद गिण गिण सतरह फेल करोगा , है मुवहे उम्मीद । जा है जो भी दियणो है , ऊ दिये अटैची बंद । मिटे दिखावो दियणा को , तो कट सके से फंद ।