दहेज के दानव
दहेज गीत ___________
इक नन्ही सी कली,माँ की बगिया में खिली,
देके खुशियां हजार, एक दिन पिया घर चली,
जब तक कली थी डाली से लिपटी रही,
माँ के आँचल में छुपकर दूध पीती रही,
कली से बनकर फूल धागे में पिरोई गई,
किसी के गले हार बनते ही टूट कर बिखर गई,
चल पड़ी हैं पिया के संग हो गई सगाई,
लोग कहने लगे बेटी तेरी अब हो गई पराई,
ससुराल में जाते ही जुल्म सहने लगी,
क्या लाई हैं दहेज में ताने सुनने लगी,
जुल्म सहकर भी आँखों से आंसू न गिराई,
गले की थी हार जो बेटी पैरो से रौन्दी गई,
दहेज के दानवो ने जुल्म उस पे ढाया,
लगा इल्जाम उसपे घर से उसको भगाया,
मांगती फिर रही हैं न्याय समाज के कानून से,
निराशा हाथ आई उसको माँ-बाप के घर से,
अनसुनी करके उसकी बाते धज्जिया उड़ाई गई,
देकर राखी की दुहाई भाई को भी निराशा पाई ,
एक गरीब की बेटी ने दुनिया से मुह मोड़ लिया,
हार कर जीवन से अन्त में आत्महत्या कर लिया,
बेदर्दी कहे समाज से सुनो दहेज के दानव,
तेरे घर में भी हैं बेटी बन जा अब मानव,
बेदर्दी कहे सच में दहेज प्रथा जंजाल हैं,
इससे ही तो घटी हैं बेटी का मान हैं,
नई गृहस्थी के लिए सुनो दहेज इक क्लेश हैं,
बन गई दहेज प्रथा आज इक कालिख देश हैं,