दहेज की जरूरत नहीं
लोगो की परम्परा को तोड़
उस अमानत की दर को जोड़
खुद से कहूंगा मुझे दहेज की जरूरत नही
भाग्य ने मुझे वो खुशहाली सोप
मेरे बदनसीब को रोक
मुझसे कहलाया है मुझे दहेज की जरूरत नही
मेरी किम्मत से रख वो सोगात बता देती है है बदनसीब को भोकात तेरे सिवा मुझे किती ओर को जकरत नही
जब तूने मेरे आंगन में पांव धरा है
तब मेरे बदनसीब को दाव घेरा है।
तु तो मेरे लिए सबसे बड़ा दहेज है,
मुझे और दहेज की जरूरत नहीं है।
खुशियो की तुम, वो बोतल हो
जो एक घुट मे चढकर लुदक जाता हु
हाँ यही नशेदार बोतल मेरे लिये सबसे बड़ा दहेज है।
मुझे और दहेज की जरूरत नहीं है।
हां! हूँ, मैं भी लोमडी चतुर-चालाक होती है
तेरे संग ना रहकर खोपदी खराब होती है
इसी बातिर तुझे तुम्हारी जरूरत हैं।।