दहशत में है गाँव
हुए इकट्ठे काग फिर, लगे बोलने काँव !
मैना कोयल मोर का,दहशत में है गाँव !!
सोच रहा सय्याद फिर, कहाँ बिछाऊँ जाल !
किसे फांस लूं आज मै, पिंजरे में तत्काल !!
रमेश शर्मा
हुए इकट्ठे काग फिर, लगे बोलने काँव !
मैना कोयल मोर का,दहशत में है गाँव !!
सोच रहा सय्याद फिर, कहाँ बिछाऊँ जाल !
किसे फांस लूं आज मै, पिंजरे में तत्काल !!
रमेश शर्मा