दहलीज़
– दहलीज़
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सुनो लड़कियों!
जब भी कभी कोई
दिल में उतर जाये
कोई प्यारा सा
मन को भा जाये
जब भी कभी
मन में बजने लगे
संगीत कोई
जब तुम मुस्कुराने लगो
अकारण ही सबसे छिप कर
तो समझ लेना
तुम्हें प्रेम हो गया है
तुम सिर से पाँव तक
प्रेम में डूब गयी हो….!
बस यहीं से
दिल और दिमाग का
संघर्ष आरंभ होगा लड़कियों!
इस संघर्ष में यकीनन
तुम्हारे दिल ही जीतेंगे
दिमाग काम करना बंद कर देंगे
बुद्धि सही रास्ता दिखायेगी
पर तुम दिल की सुनोगी…!!
जब दिल बहुत कुछ कहने लगे
तो ऐसे में अपने मन की
अपने माता-पिता से कहना
अपना प्रेम उन्हें बताना
उनका विश्वास जीतना
पर कभी भी प्रेम में
घर की दहलीज़ मत लाँघना….!!!
स्वयं दहलीज लाँघते ही
टूट जाते हैं बहुत सारे रिश्ते
जो कभी जुड़ नहीं पाते
और नये बन नहीं पाते…!!!!
माता-पिता आशीर्वाद देकर
जब घर से विदा करेंगे
तो तुम्हारा प्रेम
कभी नहीं हारेगा
दो घरों को रिश्तों में जोड़ कर
खुशियों की बारिश ले आयेगा,
इसीलिए लड़कियों!
दिल की सुनते हुए
दिमाग को सदा रखना
प्रेम में अकेले कभी भी
घर की दहलीज़ पार मत करना….!!!!!!
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई