दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
इस पार रहा ना रहा उस पार रहा घर
ये कैसी ज़िन्दगी में घड़ी आ गई
बाबुल ने दी भीगी आंखों से जब से बिदाई
खुशियां सारी पराई हो गई
जिस घर आंगन में बचपन बीता
दुनिया की रस्मों के कारण
उस से जुदाई हो गई
बाबुल क्या मैं सच में पराई हो गई
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)