Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2018 · 2 min read

दशा

वह आनंदित मन से मोटर साइकिल चलाता हुआ जा रहा था कि ठीक आगे चल रही सिटी बस से धुंआ निकला और उसके चेहरे से टकराया, वह उत्तेजित होकर चिल्लाया, “ओये! ये गंदगी क्यों फैला रहे हो… निकम्मे कहीं के” लेकिन बस तो यह जा और वह जा।

वह बेचैन हो गया, उसी अवस्था में कुछ और आगे बढ़ा ही था कि उसकी मोटर साइकिल उछल गयी, सड़क पर पानी से भरा हुआ गड्ढा था, गन्दा पानी उछल कर उसके कपड़ों और जूतों पर आ गया। वह व्याकुल होकर वहीँ खड़े एक यातायात हवलदार से कहने लगा,
“निकम्मे लोग भर्ती हैं, ज़रा सी बारिश आते ही सड़क खराब, हफ्ते-हफ्ते भर पानी भरा रहता है, पता है मेरे ऑफिस में आज फोटो सेशन है…”

हवलदार उसे अनसुना कर मुंह मोड़ कर चला गया। उसने भी कपड़ों से आ रही बदबू पर नाक सिकोड़ी और मोटर साइकिल कार्यालय की ओर बढ़ा दी।

वहां पहुँचते ही उसने अवलोकन किया, सभी साफ-सुथरे कपड़े और चमचमाते जूते पहन कर आये थे, वह हीनभावना से ग्रस्त हो नज़र बचा कर अंदर जाने ही लगा था कि चपरासी ने उसे रोक दिया और कहा, “मालिक पीछे मैदान में बुला रहे हैं।”

वह सुस्त क़दमों से चलकर मैदान में पहुंचा। उसे अस्तव्यस्त देखते ही संस्था का मालिक चौंका, और उसे इशारे से अपने पास बुलाया। वह नज़रें झुकाए उसके पास गया। मालिक ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और मुस्करा कर कहा,
“ये लो झाडू पकड़ो, स्वच्छता अभियान के लिए फोटोग्राफ सरकार को भेजने हैं, सब निकम्मे चमक रहे हैं, तुम मेरे साथ खड़े रहो, कोई तो ऐसा दिखाई दे कि सच में सफाई की है।”

और उसे अचानक अपने कपड़ों से बदबू गायब होती अनुभव हुई।
– ० –

Language: Hindi
1 Like · 316 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
Neelofar Khan
प्रकृति प्रेम
प्रकृति प्रेम
Ratan Kirtaniya
संस्कार
संस्कार
Sanjay ' शून्य'
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
पूर्वार्थ
काफिला
काफिला
Amrita Shukla
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
Ashwini sharma
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
कवि रमेशराज
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।
Kumar Kalhans
क्या कहेंगे लोग
क्या कहेंगे लोग
Surinder blackpen
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कभी मैं सोचता था कि एक अच्छा इंसान बनना चाहिए तो दुनिया भी अ
कभी मैं सोचता था कि एक अच्छा इंसान बनना चाहिए तो दुनिया भी अ
Jitendra kumar
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Ram Krishan Rastogi
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इंतज़ार का मर्ज है संगीन
इंतज़ार का मर्ज है संगीन
Chitra Bisht
वृक्ष की संवेदना
वृक्ष की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
Sunil Suman
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
जीना भूल गए है हम
जीना भूल गए है हम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
नव वर्ष पर सबने लिखा
नव वर्ष पर सबने लिखा
Harminder Kaur
"चलना"
Dr. Kishan tandon kranti
बनारस का घाट
बनारस का घाट
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
यादों की याद रखना
यादों की याद रखना
Dr. Rajeev Jain
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
Jogendar singh
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
#आत्मीय_मंगलकामनाएं
#आत्मीय_मंगलकामनाएं
*प्रणय*
Harmony's Messenger: Sauhard Shiromani Sant Shri Saurabh
Harmony's Messenger: Sauhard Shiromani Sant Shri Saurabh
World News
Loading...