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26 Oct 2020 · 1 min read

दशहरा

दशहरा(मनहरण घनाक्षरी)
कैसा है यह चलन
दशहरा को दहन
मन दुष्ट आचरन
प्रतीक ही जलाते।

रावण बसता मन
कर्मों में राक्षसपन
राम का कर पूजन
स्वयं को झुठलाते।

भजते राम लखन
प्रभु करने दर्शन
बनते देखा रावन
राम न बन पाते।

लंका सुख सुहावन
इच्छा पूर्ति जबरन
राम भक्ति दिखावन
दशहरा मनाते।

राजेश कौरव सुमित्र

2 Likes · 1 Comment · 373 Views
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