दशरथ माझी
दशरथ माझी हौसला, दशरथ माझी चाह।
जो पहाड़ को साध कर, बना सके भी राह।।
बना सके भी राह, भले वह चले अकेला ।
जहाँ चाह तह राह, साथ लग जाये मेला।।
कहि ‘कौशल’ कविराय, बना लो खुद अपना पथ।
गर हो सच्ची चाह, हौसला माझी दशरथ ।।
दशरथ माझी हौसला, दशरथ माझी चाह।
जो पहाड़ को साध कर, बना सके भी राह।।
बना सके भी राह, भले वह चले अकेला ।
जहाँ चाह तह राह, साथ लग जाये मेला।।
कहि ‘कौशल’ कविराय, बना लो खुद अपना पथ।
गर हो सच्ची चाह, हौसला माझी दशरथ ।।