दशरथ नन्दन
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सरयू तीर
है अयोध्या पावन
सुखों का धाम
तीन रानियाँ
है दशरथ राजा
न कोई सुत
चिंता बड़ी है
ऋषियों की सलाह
हुआ है यज्ञ
तिथि नवमी
अभिजीत नक्षत्र
चौगुनी खुशी
राम लखन
भरत शत्रुहन
राज दुलारे
झूमा अवध
हुए मंगलगान
हर्षित सुर
।।।।जेपीएल।।।