दल-बदलू नेता
बिनु पेंदी के लोटा नियन, एने ओने ढिमिलाला।
जहँवे माल मलाई पावे, नाक डूबा के खाला।
पाँच साल पर पाला बदले, भइल स्वार्थ में आन्हर।
पाटी-पाटी कुदत बाटे, जइसे कूदे बानर।
कवनो दीन ईमान धरम ना, साधे आपन स्वारथ।
लाभ देखि के पार्टी छोड़े, कइनी कहे परमारथ।
कबो लगावे निला झंडा, कबो केसरिया साफा।
पार्टी बदलि बदलि के नेता, सोचे आपन नाफा।
सावधान हो जाईं पंचे, जनसेवक पहेचानी।
स्वार्थ में आन्हर नेता कुल के, चले न दीं मनमानी।
सोच समझ के वोट करीं जा, दल-बदलू के छोड़ीं।
कपटी, लोभी जे भी बाटे, आज हौसला तोड़ीं।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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