*दलबदलू जी की जयजयकार 【हास्य व्यंग्य-गीत】*
दलबदलू जी की जयजयकार 【हास्य व्यंग्य-गीत】
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हर दल में बोलो दलबदलू जी की जयजयकार
(1)
सत्ता में चाहे जो आए दलबदलू घुस जाते
जो जीता उसके ही तलवों में नवनीत लगाते
इनके मंत्री बिना बने कब बनती है सरकार
(2)
छुपे हुए हैं इनके घर में सभी दलों के झंडे
हर दल में फिट हो जाते हैं इनके सब मुस्टंडे
टोपी सभी दलों की रखना इनका है व्यापार
(3)
कभी घोषणा-पत्र न पढ़ते ,वादा कभी न करते
मतदाताओं की जेबों को यह रुपयों से भरते
तिकड़म से है जीत ,बाद में मंत्री-पद का भार
(4)
सिर की टोपी का पल- भर में रंग बदल जाता है
गिरगिट का वंशज ,इनको हर कोई बतलाता है
मतलब जिस से निकले बाप बनाने को तैयार
हर दल में बोलो दलबदलू जी की जयजयकार
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451