दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
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दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
धीरे- धीरे खुलती है नफरतों की आहट
खामोशी का रिश्ता बन जाता है अंदर
और होती विचारों में आपस टकराहट
ममता रानी
दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
धीरे- धीरे खुलती है नफरतों की आहट
खामोशी का रिश्ता बन जाता है अंदर
और होती विचारों में आपस टकराहट
ममता रानी