दर जो आली-मकाम होता है
ग़ज़ल
दर जो आली-मक़ाम¹ होता है
क़ाबिल-ए-एहतिराम² होता है
ज़र्द सोना भी ज़र्द पीतल भी
पर अलग इनका दाम होता है
वक़्त के सब ग़ुलाम है होते हैं
वक़्त किसका ग़ुलाम होता है
दिल में लंका बसाये है कुछ लोग
मुँह पे बस राम राम होता है
मौज़ होती है रहनुमाओं³ की
और बे-बस अवाम होता है
दिन में तस्बीह⁴ हाथ है उनके
जाम तो वक़्त-ए-शाम होता है
ज़ेह्न इस पर सवार रखिए ‘अनीस ‘
दिल बड़ा बे-लगाम होता है
– अनीस शाह ‘अनीस’
1.श्रेष्ठ,महामहिम 2.सम्मान योग्य 3.नेताओं 4.जाप की माला