दर्शन शास्त्र के ज्ञाता, अतीत के महापुरुष
जनता पूछना चाहती है,
महापुरुष का फ्रेम क्या है.
(मूर्ख जवाब देते हैं)
मन की बात करते है.
पर समाधान नहीं देते.
.
बाबा साहेब का जीवन किसी,
एक वर्ग कौम के लिए नहीं था,
.
उनके नाम पर बने संगठन.
उनकी तौहीन तोहमत के जिम्मेदार.
महापुरुषों के नाम से
संगठन खडे होते है.
वे अकेले नहीं मीडिया
और साहित्यकार तक
उन्हें परोसते हैं !
भीड़ को नेतृत्व चाहिए !
उन्हें कोई मतलब नहीं,
कौन क्या है !
कोई भी लिखित तथ्य,
जब तक काम नहीं करता,
जब तक उस पर काम न हो.
.
तुम क्या समझ पावोगे,
तुम अपने लिखे को पढ़ने में असमर्थ हो,
क्रिया की प्रतिक्रिया होती है.
और होगी,
क्योंकि वर्ण और जाति व्यवस्था ने,
समाज की दुर्दशा कर रखी थी,
.
तब ही प्रतिक्रिया सामने आई.
कूटनीति तो नहीं खेली.
जन जीवन का स्तर,
ऊपर उठा,
घोचू 🤔
.
स्त्री और हुनरमंद लोगों की इज्ज़त थी,
जमीर बिके इंसान आज राज कर रहे है.
क्या बराबरी करोगे.
जहर की शीशी पर लिखना.
जरूरी है.
यह जहर है.
.
फिर भी कोई खाये तो,
उसका एंटीडोट लिखा होता है,
चिकित्सा उसकी भी समय पर संभव है.