दर्द
जिंदगी जीते जीते अब मैं सहना सिख गयी,
बहोत बातें करनेवाली मैं,
अब चुप रहना सिख गयी……
कोई शिकायत नहीं है किसी से,
लेकीन मेरी खामोशी में,
दर्द छुपाना सिख गयी……
लड़के-झगडके कुछ फायदा नहीं,
घर में शांती बनाए रखने के लिये
अब मैं झुठ मुठ का हसँना सिख गयी……
खुश रहने के लिये, मुस्कुराना सिख गयी……
मुखवटे के पिछे का असली चेहरा छुपाना सिख गयी……..