कहां किसी को दर्द
हैं सभी यहां पर मर्द, कहां किसी को दर्द l
आंखों से दिखता नहीं ,पड़ी हुई है गर्द ll
पड़ी हुई है गर्द ,नहीं कुछ फिर भी पीड़ा l
राम भरोसे देश ,यही अब अपनी पीड़ा ll
आने वाला जाए , कैसा तेरा ठिकाना l
परहित कुछ तो जान ,जो मान मर्द क पाना ll
संजय सिंह” सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l