दर्द
मालूम है उसे कहाँ होता है
वो ज़ालिम वहीँ पर चोट देता है
बनके समझदार हमेशा ही
करीने से मेरा दिल तोड़ देता है
हंसकर फिर मुझसे वो पूछता है
बुरा तो नहीं लगा खंजर घोंपता है
मैं फिर से दर्द अपना सहलाता
और वो एक नया दर्द दे देता है
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28 जुलाई2016