Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2016 · 1 min read

दर्द

मालूम है उसे कहाँ होता है
वो ज़ालिम वहीँ पर चोट देता है
बनके समझदार हमेशा ही
करीने से मेरा दिल तोड़ देता है
हंसकर फिर मुझसे वो पूछता है
बुरा तो नहीं लगा खंजर घोंपता है
मैं फिर से दर्द अपना सहलाता
और वो एक नया दर्द दे देता है
?�??�??�??
28 जुलाई2016

Language: Hindi
11 Likes · 807 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
manorath maharaj
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
Yogendra Chaturwedi
फिल्म तो सती-प्रथा,
फिल्म तो सती-प्रथा,
शेखर सिंह
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
Trishika S Dhara
शौक या मजबूरी
शौक या मजबूरी
संजय कुमार संजू
बीता कल ओझल हुआ,
बीता कल ओझल हुआ,
sushil sarna
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
औरों के लिए जो कोई बढ़ता है,
औरों के लिए जो कोई बढ़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
Ashwini sharma
जहन के भीतर///स्वतन्त्र ललिता मन्नू
जहन के भीतर///स्वतन्त्र ललिता मन्नू
स्वतंत्र ललिता मन्नू
मैं अपने दिल की रानी हूँ
मैं अपने दिल की रानी हूँ
Dr Archana Gupta
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
बस एक कदम दूर थे
बस एक कदम दूर थे
'अशांत' शेखर
3740.💐 *पूर्णिका* 💐
3740.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
पीर मिथ्या नहीं सत्य है यह कथा,
पीर मिथ्या नहीं सत्य है यह कथा,
संजीव शुक्ल 'सचिन'
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी खुदाई
मेरी खुदाई
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
Rj Anand Prajapati
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
भूलना..
भूलना..
हिमांशु Kulshrestha
प्रभु श्री राम आयेंगे
प्रभु श्री राम आयेंगे
Santosh kumar Miri
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
Keshav kishor Kumar
"रंग का मोल"
Dr. Kishan tandon kranti
नजरे मिली धड़कता दिल
नजरे मिली धड़कता दिल
Khaimsingh Saini
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
Neelofar Khan
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
प्रेम गीत
प्रेम गीत
हरीश पटेल ' हर'
🙅आम सूचना🙅
🙅आम सूचना🙅
*प्रणय*
"रिश्तों के धागे टूट रहे हैं ll
पूर्वार्थ
Loading...