“ दर्द हमारा “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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हमारे दर्द को कोई नहीं समझता है ,
कहूँ तो कैसे कहूँ कोई नहीं सुनता है !
हमारे दर्द को कोई नहीं समझता है ,
कहूँ तो कैसे कहूँ कोई नहीं सुनता है !!
हमारे दर्द को ………………………!!
लगी है चोट मेरे सीने में ,
छुपाके कैसे रखूँ कोने में !
लगी है चोट मेरे सीने में ,
छुपाके कैसे रखूँ कोने में !!
कोई हमदम, हमराज नहीं बनता है ,
कहूँ तो कैसे कहूँ कोई नहीं सुनता है !
हमारे दर्द को …………………….!!
यहाँ कोई नज़र नहीं आता ,
कहेंगे फिर भी नहीं भाता !
यहाँ कोई नज़र नहीं आता ,
कहेंगे फिर भी नहीं भाता !!
दो कदम भी मेरे साथ नहीं चलता है ,
कहूँ तो कैसे कहूँ कोई नहीं सुनता है !
हमारे दर्द को …………………!!
यहाँ मशगूल अपनों में हैं ,
लोग घूमते सपनों में हैं !
यहाँ मशगूल अपनों में हैं ,
लोग घूमते सपनों में हैं !!
किसीके किताबको कोई नहीं पढ़ता है,
कहूँतो कैसे कहूँ कोई नहीं सुनता है !
हमारे दर्द को कोई नहीं समझता है ,
कहूँतो कैसे कहूँ कोई नहीं सुनता है !!
हमारे दर्द को ……………………..!!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
24.03.2022.