”दर्द मुझे बहुत होता हैं“
कविता-24
जब तुम कहते हो मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता ,
जब तुम कहते हो मुझे कुछ मतलब नहीं है ,
जब तुम कहते हो तुम्हारे जो जी में आए करो ,
तो दर्द मुझे बहुत होता है ।
जब तुम मुझे आजमाने की कोशिश करते हो ,
समझने की बिलकुल भी नहीं ,
जब तुम मेरी हर बात मजाक में टाल देते हो ,
जब तुम मुझे नज़र अन्दाज करते हो ,
तो दर्द मुझे बहुत होता है।
जब तुम सुनने को तैयार नहीं होते खुद की गलती में ,
जब तुम मेरी गलती पे मुझे बार बार नीचा दिखाते हो ,
जब तुम दूसरों के सामने जाहिर करते हो कि
मेरी अहमियत कुछ भी नहीं ,
तो दर्द मुझे बहुत होता है।
जब तुम मेरी मुश्किलों में मेरा सहारा नहीं बनते हो ,
जब तुम मेरे जज्बातों को नहीं समझते हो ,
जब तुम मेरे दर्द को महसूस नहीं करते हो ,
तो दर्द मुझे बहुत होता है।