Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jun 2022 · 1 min read

दर्द को मायूस करना चाहता हूँ

मैं तुम्हारे प्यार की लौ के लिए
हसरतों को फूस करना चाहता हूँ।
हर घड़ी हरदम तुम्हें, केवल तुम्हें,
हाँ तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

यूँ तमन्ना है तुम्हारे साथ की,
मैं बनूँ वीणा तुम्हारे हाथ की,
ख्वाब के लाचार खग को चार पर दे दो,
बेसुरे इस तार को झंकार भर दे दो।
मैं तुम्हारी नर्म नाजुक छुअन से,
प्रेमधुन महसूस करना चाहता हूँ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

ठेठ तन्हाई में इतना खप चुका हूँ।
जेठ जैसा माघ फागुन तप चुका हूँ।
कैद होकर प्रेम के पाबंद नगरों में।
रोज भीगा बारिशों में बंद कमरों में।
रोज सावन और भादों जी चुका अब
मौसमों को पूस करना चाहता हूँ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

प्यार की रुत दूर जाते देखता हूँ।
गमों को खुशियाँ मनाते देखता हूँ।
मैं तुम्हारा दर्द सारा माँगता हूँ।
मुस्कराने का सहारा माँगता हूँ।
मुस्कराकर दर्द के ही दौर में,
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

आँधियाँ हैं दीप की परवाह है मुझको।
मैं पतंगा रोशनी की चाह है मुझको।
चाह है मैं रूप का किस्सा बनूँ।
मैं तुम्हारी धूप का हिस्सा बनूँ।
बना दिल को घर तुम्हारा , दर जिगर को
यह नज़र फानूस करना चाहता हूँ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

संजय नारायण

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 364 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
Rita Singh
'धुँआ- धुँआ है जिंदगी'
'धुँआ- धुँआ है जिंदगी'
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बेहिसाब सवालों के तूफान।
बेहिसाब सवालों के तूफान।
Taj Mohammad
मनुष्य का कर्म विचारों का फूल है
मनुष्य का कर्म विचारों का फूल है
पूर्वार्थ
अगर आपको सरकार के कार्य दिखाई नहीं दे रहे हैं तो हमसे सम्पर्
अगर आपको सरकार के कार्य दिखाई नहीं दे रहे हैं तो हमसे सम्पर्
Anand Kumar
4487.*पूर्णिका*
4487.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
सत्य कुमार प्रेमी
कलम का क्रंदन
कलम का क्रंदन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
बुढापा आया है ,
बुढापा आया है ,
Buddha Prakash
Baat faqat itni si hai ki...
Baat faqat itni si hai ki...
HEBA
"मेरी नज्मों में"
Dr. Kishan tandon kranti
*वफ़ा मिलती नहीं जग में भलाई की*
*वफ़ा मिलती नहीं जग में भलाई की*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गरीबी  बनाती ,समझदार  भाई ,
गरीबी बनाती ,समझदार भाई ,
Neelofar Khan
संसार का स्वरूप
संसार का स्वरूप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
कोई भी जीत आपको तभी प्राप्त होती है जब आपके मस्तिष्क शरीर और
कोई भी जीत आपको तभी प्राप्त होती है जब आपके मस्तिष्क शरीर और
Rj Anand Prajapati
जो सुनना चाहता है
जो सुनना चाहता है
Yogendra Chaturwedi
उम्र आते ही ....
उम्र आते ही ....
sushil sarna
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
* सामने बात आकर *
* सामने बात आकर *
surenderpal vaidya
"মেঘ -দূত "
DrLakshman Jha Parimal
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
Shravan singh
🙅भोलू भड़ासी कहिन🙅
🙅भोलू भड़ासी कहिन🙅
*प्रणय*
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
आज पर दिल तो एतबार करे ,
आज पर दिल तो एतबार करे ,
Dr fauzia Naseem shad
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
பூக்களின்
பூக்களின்
Otteri Selvakumar
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
न बदले...!
न बदले...!
Srishty Bansal
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
Ajit Kumar "Karn"
Loading...