दर्द की इंतहा
जाने कितने ही दर्द के बादल ,
तेरे सीने में उमड़ते होंगे ।
तेरी आंखों के पैमानों से यह ,
अश्क बनकर छलकते होंगे ।
धरती का कलेजा भी फटता होगा ,
जब चंद छींटे तेरे खून के उसकी ,
गोद में आकर गिरते होंगे ।
जाने कितने ही दर्द के बादल ,
तेरे सीने में उमड़ते होंगे ।
तेरी आंखों के पैमानों से यह ,
अश्क बनकर छलकते होंगे ।
धरती का कलेजा भी फटता होगा ,
जब चंद छींटे तेरे खून के उसकी ,
गोद में आकर गिरते होंगे ।