दर्द की आंधी को
दर्द की नदी है
दर्द की बारिश है
दर्द का जलजला कहां रुकता है
यह तो दिल की घाटियों से होकर
गुजरता है
दर्द की बूंद तो
एक ओस की बूंद नहीं
एक पत्थर का मोती है
जिसका वजूद कभी खत्म ही नहीं होता
दर्द की आंधी को जितना रोकना चाहो
यह उतनी ही और तेज गति, वेग, गहनता, शीघ्रता और
उन्माद से
घर के गुलिस्तानों को बर्बाद करती है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001