हकिकत
जिन्दगी की हकिकत दिखती है कुछ ओर
ओर होती है कुछ ओर
ना जाने क्या होने वाला है इसे
सोचने पर भी अब रु ह कापने लगी है
क्या होगा जिन्दगी के अगले पन्ने का छोर
जिन्दगी की हकिकत दिखती है कुछ ओर
ओर होती है कुछ ओर
ना जाने क्या होने वाला है इसे
सोचने पर भी अब रु ह कापने लगी है
क्या होगा जिन्दगी के अगले पन्ने का छोर