दरिया के किनारे।
साथ-साथ चलते है लहरों के चलनें में,
हमेशा ही फासला रखते है संग रहने में।
आमने सामने होते है दरिया के किनारे,
फिर भी देखा है कभी उनको मिलने में।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
साथ-साथ चलते है लहरों के चलनें में,
हमेशा ही फासला रखते है संग रहने में।
आमने सामने होते है दरिया के किनारे,
फिर भी देखा है कभी उनको मिलने में।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍