दरवाज़े का पट खोल कोई,
दरवाज़े का पट खोल कोई,
वो आज़ भी मुझे बुलाता है,
जीवन के इस नव मोड़ पर,
बचपन खड़ा नज़र आता है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
दरवाज़े का पट खोल कोई,
वो आज़ भी मुझे बुलाता है,
जीवन के इस नव मोड़ पर,
बचपन खड़ा नज़र आता है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”