दरबारियों!
दरबारियों!
केवल खड़ाऊ सिंहासन पर रखने से कोई “भरत” नहीं बनता। उसे “राजमहल” व समस्त सुविधाएं त्याग कर “नंदीग्राम” में वास व तप करना होता है।
🙅प्रणय प्रभात🙅
दरबारियों!
केवल खड़ाऊ सिंहासन पर रखने से कोई “भरत” नहीं बनता। उसे “राजमहल” व समस्त सुविधाएं त्याग कर “नंदीग्राम” में वास व तप करना होता है।
🙅प्रणय प्रभात🙅